भारत में एक वैध (valid) contract बनाने के लिए जो विधिक प्रक्रिया (Legal Process) होती है, वह Indian Contract Act, 1872 के अनुसार निर्धारित है।
Contract बनाने की विधि प्रक्रिया (Legal Procedure to Form a Contract):
1. प्रस्ताव (Offer) – [Section 2(a)]
📢 एक पक्ष (Party A) किसी सेवा या वस्तु के लिए प्रस्ताव रखता है।
2. स्वीकृति (Acceptance) – [Section 2(b)]
📢 दूसरा पक्ष (Party B) उस प्रस्ताव को बिना शर्त स्वीकार करता है।
3. विचार (Consideration) – [Section 2(d)]
📢 दोनों पक्षों के बीच कुछ “मूल्यवान” (Value) चीज का आदान-प्रदान होना चाहिए – जैसे पैसा, वस्तु, सेवा आदि।
4. पक्षों की क्षमता (Competency of Parties) – [Section 11]
📢 दोनों पक्षों की कानूनी योग्यता होनी चाहिए:
🪄18 वर्ष या उससे अधिक आयु
🪄समझदारी की स्थिति में हो
🪄कानूनी रूप से अयोग्य न हो (जैसे declared insolvent)
5. सहमति की स्वतंत्रता (Free Consent) – [Section 13–18]
📢 सहमति बलपूर्वक, धोखाधड़ी, दबाव या भ्रम में नहीं होनी चाहिए।
6. वैध उद्देश्य (Lawful Object) – [Section 23]
📢 Contract का मकसद कानून के खिलाफ, नैतिकता के खिलाफ या धोखाधड़ी वाला नहीं होना चाहिए।
7. कानूनी बाध्यता (Legal Obligation) – [Section 10]
📢 Contract ऐसा होना चाहिए जिसे Court enforce कर सके।
Social agreements, जैसे – “मैं तुम्हारे घर डिनर पर आऊँगा”, enforceable नहीं होते।
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नोट:
📣 Contract लिखित या मौखिक, दोनों हो सकते हैं। लेकिन कुछ contracts (जैसे जमीन की बिक्री) लिखित और रजिस्टर्ड होना जरूरी है।