⚖️ Legal Updates™ "Specialized legal services for criminal defense and civil litigation under one roof." @ 📞 90-44-88-1445,Advocate Rahul Goswami (District and Session Court Gonda). ⚖️ Legal Updates™

Recently Uploded

"विरासत में संपत्ति के साथ देयताएं भी आती हैं"





 "विरासत में संपत्ति के साथ देयताएं भी आती हैं"

(“Heirs inherit assets subject to liabilities”)



1. उत्तराधिकार का सिद्धांत:


जब कोई व्यक्ति मरता है, तो उसकी संपत्ति उसके वैध वारिसों को स्थानांतरित हो जाती है।

लेकिन अगर उस संपत्ति पर कोई ऋण (loan) बकाया है, तो वह ऋण भी वारिसों पर आ जाता है।


2. वारिसों की जिम्मेदारी की सीमा:


वारिस केवल उस संपत्ति की सीमा तक उत्तरदायी होते हैं जो उन्हें विरासत में मिली है।

यानी, अगर उन्हें 10 लाख की संपत्ति मिली है, तो वे अधिकतम 10 लाख तक के ऋण के लिए उत्तरदायी होंगे।

वे अपनी निजी संपत्ति से ऋण चुकाने के लिए बाध्य नहीं होते।


3. ऋणदाता (बैंक आदि) का अधिकार:

बैंक उस जमीन को जब्त (attach) कर सकता है या नीलाम कर सकता है, क्योंकि जमीन पर पहले से गिरवी (mortgage) रखी गई थी।

लेकिन बैंक वारिसों से व्यक्तिगत रूप से वसूली नहीं कर सकता जब तक कि वारिसों ने लिखित रूप में जिम्मेदारी नहीं ली हो।


---


प्रावधानों का संदर्भ:


ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट, 1882 / Transfer of Property Act, 1882 


मुख्य प्रकार की गिरवी:


1. सरल गिरवी (Simple Mortgage) – Section 58(b) (Transfer of Property Act, 1882)


📢 ऋण लेने वाला (Mortgagor) संपत्ति पर स्वामित्व बनाए रखता है, पर वचन देता है कि अगर ऋण नहीं चुकाया तो ऋणदाता (Mortgagee) संपत्ति बेच सकता है।


2. हस्तांतरण गिरवी (Mortgage by Conditional Sale) – Section 58(c) (Transfer of Property Act, 1882)


 📢 ऐसा प्रतीत होता है कि संपत्ति बेची गई है, पर एक शर्त होती है कि यदि ऋण चुकाया गया तो बिक्री रद्द मानी जाएगी।


3. बंधक द्वारा कब्जे के साथ गिरवी (Usufructuary Mortgage) – Section 58(d), Transfer of Property Act, 1882)


📢 ऋणदाता को संपत्ति का कब्जा मिल जाता है और वह उससे आय (जैसे किराया या उपज) प्राप्त करता है।


4. बंधक द्वारा कब्जे और विक्रय के अधिकार के साथ गिरवी (English Mortgage) – Section 58(e) Transfer of Property Act, 1882)


📢 पूरी संपत्ति ऋणदाता को स्थानांतरित कर दी जाती है, पर वचन होता है कि ऋण चुका देने पर संपत्ति वापस मिल जाएगी।


5. प्रतिज्ञा गिरवी (Mortgage by Deposit of Title Deeds) – Section 58(f) Transfer of Property Act, 1882)


📢 उधारकर्ता अपने ज़मीन के दस्तावेज़ बैंक को देकर ऋण लेता है। यह मुख्यतः शहरों में होता है।


6. अन्य गिरवी (Anomalous Mortgage) – Section 58(g) ,Transfer of Property Act, 1882)


📢 उपरोक्त किसी भी प्रकार में न आने वाली मिश्रित या विशेष शर्तों वाली गिरवी।


उदाहरण के लिए:


अगर किसी व्यक्ति ने बैंक से ऋण लिया और अपनी ज़मीन को सरल गिरवी (Simple Mortgage) के रूप में रखा, और वह ऋण नहीं चुका पाया, तो बैंक को अधिकार होगा कि वह कानूनी प्रक्रिया द्वारा उस ज़मीन को बेचकर अपना पैसा वसूल सके।


भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 (Indian Succession Act, 1925) 


📢 मृत व्यक्ति की संपत्ति (चाहे वह स्व-अर्जित हो या विरासत में मिली हो) सबसे पहले इस उद्देश्य के लिए उपयोग में लाई जाएगी: धारा 50 (Indian Succession Act, 1925)


1. मृत व्यक्ति की अंतिम संस्कार की लागत,

2. उसके ऋणों का भुगतान (debts),

3. वसीयत के अनुसार की गई कोई देनदारियाँ।



📢 अगर मृतक की संपत्ति अलग-अलग प्रकार की है (जैसे वसीयत के अनुसार दी गई संपत्ति, सामान्य संपत्ति, आदि), तो कर्ज चुकाने के लिए किस संपत्ति से पहले भुगतान किया जाएगा, इसका क्रम इस धारा में बताया गया है। 

धारा 51 – (Indian Succession Act, 1925)



📢 यदि मृत व्यक्ति की संपत्ति मिश्रित (composite) है, जैसे कि साझा मिल्कियत, या एक से ज्यादा हिस्सों में विभाजित है, तो सभी हिस्सों से समानुपातिक (rateable) तरीके से देनदारियों का भुगतान किया जाएगा। 

धारा 52 – (Indian Succession Act, 1925)




-निष्कर्ष:


1. मृतक की संपत्ति सबसे पहले अंतिम संस्कार, कर्ज और वसीयत को पूरा करने में लगेगी (धारा 50)।


2. अगर संपत्ति अलग-अलग प्रकार की है, तो तय नियमों के अनुसार किससे पहले भुगतान होगा, इसका क्रम तय किया गया है (धारा 51)।


3. अगर संपत्ति कई हिस्सों में है, तो सभी हिस्सों से बराबरी में देनदारी पूरी की जाएगी (धारा 52)।