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क्या भारत का कानून हमें आत्मरक्षा में जान लेने की इजाज़त देता है?

टॉर्ट में उद्देश्य और द्वेष
📘 क्या भारत का कानून हमें आत्मरक्षा में जान लेने की इजाज़त देता है?
⚖️ स्व-रक्षा का मूल अधिकार (Section 34–35 ,BNS)

भारत का हर नागरिक अपनी जान, शरीर, और संपत्ति की रक्षा कर सकता है — चाहे वह खुद की हो या किसी और की।

⚖️ क्या पागल या नशे में व्यक्ति पर भी बचाव का हक है? (Section 36, BNS)

अगर हमला करने वाला मानसिक रूप से अस्वस्थ है या नशे में है, तो भी बचाव का पूरा हक़ बना रहता है।

⚖️ कब नहीं मिलती आत्मरक्षा की छूट? (Section 37, BNS)

जब हमला किसी सरकारी अधिकारी द्वारा किया गया हो, अच्छे विश्वास में, और हम पुलिस की मदद ले सकते हैं — तब जरूरत से ज़्यादा नुकसान करना अपराध हो सकता है।

⚖️ कब है जान लेने का अधिकार? (Section 38, BNS)

अगर कोई जानलेवा हमला करता है,बलात्कार, अपहरण या तेज़ाब फेंकने की कोशिश करता है — तो आप उसे मार भी सकते हैं। ⚠️ लेकिन केवल उतनी ही शक्ति प्रयोग करें जितनी जरूरी हो।

⚖️ जानलेवा न हो, तो...? (Section 39, BNS)

यदि हमला जानलेवा नहीं है, तो हमलावर को मृत्युदंड नहीं दिया जा सकता — बस उचित प्रतिरोध करना पर्याप्त है।

⚖️ रक्षा कब शुरू और कब खत्म होती है? (Sections 40 & 43, BNS)

जैसे ही खतरे की आशंका शुरू हो, आत्मरक्षा शुरू हो सकती है — और तब तक जारी रहती है जब तक खतरा बना रहे।

⚖️ संपत्ति की रक्षा में मृत्यु तक का अधिकार? (Section 41, BNS)

यदि डकैती, घर में घुसपैठ, या आगजनी हो रही है — तो हमला करने वाले की जान लेना भी कानूनन वैध है।

⚖️ जब कोई निर्दोष बीच में हो? (Section 44, BNS)

अगर हमलावरों को रोकते समय कोई मासूम व्यक्ति घायल हो जाए — तब भी अगर बचाव के अलावा कोई विकल्प नहीं था, तो वह अपराध नहीं माना जाएगा।