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अपराध-सिद्धि के चार चरण (Stages of Crime)


अपराध-सिद्धि के चार चरण (Stages of Crime) – 

✒अपराध के घटित होने की प्रक्रिया को अलग-अलग अवस्थाओं (stages) में बांटा जाता है:


✒आमतौर पर अपराध चार मुख्य चरणों में होता है, जिनमें से कुछ चरण कानूनी दृष्टि से दंडनीय होते हैं और कुछ नहीं।



⚖️ 1. मन में अपराध करने का इरादा (Intention / Mens Rea)

  • ✒यह मानसिक अवस्था है जिसमें व्यक्ति अपराध करने का विचार करता है।

  • केवल मन में इरादा बनना अपराध नहीं है, लेकिन यह अपराध का पहला और आवश्यक चरण है।

  • उदाहरण: किसी को मारने का मन बनाना।


    ⚠️ महत्वपूर्ण: सिर्फ इरादा रखना कानूनन दंडनीय नहीं, जब तक कि उसके साथ कोई तैयारी या कार्य न किया जाए (कुछ विशेष मामलों को छोड़कर जैसे राजद्रोह की साजिश)।




    ⚖️ 2. तैयारी (Preparation)


    🪄 इरादे को अमल में लाने के लिए साधन जुटाना या योजना बनाना।


    🪄आमतौर पर तैयारी अपराध नहीं मानी जाती, जब तक कि कानून में विशेष रूप से न कहा गया हो (जैसे नकली नोट बनाने की तैयारी, डकैती की तैयारी)।


    उदाहरण: हथियार खरीदना, जहरीला पदार्थ लेना, अपराध स्थल का निरीक्षण करना।




    ⚖️ 3. प्रयास (Attempt)


    🪄जब तैयारी के बाद व्यक्ति अपराध को अंजाम देने की दिशा में सीधा कदम उठाता है, तो इसे प्रयास कहते हैं।


    🪄प्रयास दंडनीय है, भले ही अपराध पूरा न हो।


    उदाहरण: किसी पर गोली चलाना लेकिन वह बच जाए।




    ⚖️ 4. अपराध का संपन्न होना (Commission / Completion)


    🪄जब अपराध पूरी तरह से घटित हो जाए, और सभी आवश्यक तत्व (Actus Reus + Mens Rea) पूरे हो जाएं।


    उदाहरण: गोली चलाने से व्यक्ति की मृत्यु हो जाना (हत्या पूर्ण हो जाना)।


    🔹

    संक्षेप में: इरादा → तैयारी → प्रयास → संपन्न अपराध

    इनमें से केवल इरादा सामान्यतः दंडनीय नहीं है, जबकि प्रयास और पूर्ण अपराध हमेशा दंडनीय होते हैं।