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शिकायत या एफआईआर एक निश्चित समय के भीतर ही दर्ज की जानी चाहिए



BNSS की धारा 516 (Section 468 of the Criminal Procedure Code, 1973) में यह प्रावधान है कि कुछ अपराधों के लिए अदालत एक निश्चित समय सीमा (Limitation Period) के बाद कार्यवाही (Cognizance) नहीं ले सकती।


धारा 516 के मुख्य उपबंध (Provisions):


1. सीमाएं (Limitation Periods):

🪄अपराध की प्रकृति और सजा के आधार पर शिकायत/FIR की अधिकतम देरी हो सकती है:

🪄यह समय सीमा इस बात पर निर्भर करती है कि अपराध की अधिकतम सजा कितनी है।



2. सीमा की गणना कब से होती है?


🪄अपराध होने के दिन से,

🪄या जब पीड़ित को अपराध के बारे में जानकारी मिली,

🪄या जब आरोपी की पहचान हुई — जो भी बाद में हो।




3. सीमा खत्म होने पर क्या होगा?

🪄यदि उपरोक्त अवधि बीत चुकी है और कोई विशेष कारण नहीं है, तो अदालत संज्ञान नहीं ले सकती।




4. विशेष परिस्थिति में छूट (Section 517 (BNSS) - पूर्व CrPC 473):

🪄यदि शिकायतकर्ता देरी का उचित कारण बताता है, तो अदालत अपनी शक्ति से देरी माफ कर सकती है।


🪄यदि कोई अपराध छोटा है और उसकी अधिकतम सजा कम है, तो उसके लिए शिकायत या एफआईआर एक निश्चित समय के भीतर ही दर्ज की जानी चाहिए। यदि वह समय बीत गया, तो अदालत उस पर कार्यवाही शुरू नहीं कर सकती (जब तक कोई विशेष कारण न हो)।



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उदाहरण:


1. गाली देना (IPC 504) – अधिकतम सजा 2 वर्ष → 3 वर्ष की सीमा में शिकायत होनी चाहिए।


2. चोरी (IPC 379) – अधिकतम सजा 3 वर्ष → 3 वर्ष की सीमा।


3. बलात्कार (IPC 376) – अधिकतम सजा 7 वर्ष या अधिक → कोई समय सीमा नहीं, कभी भी FIR हो सकती है।


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