⚖️ Sessions Trial की प्रक्रिया
🔹 1. Opening of the Case (मुकदमे की शुरुआत)
BNSS (2023): Section 248/ CrPC (1973): Section 225
Sessions Court में ट्रायल की शुरुआत लोक अभियोजक (Public Prosecutor) द्वारा केस प्रस्तुत करने से होती है।
👉 अभियोजन पक्ष अदालत को संक्षेप में यह बताता है कि अभियुक्त के खिलाफ क्या आरोप हैं और कौन से सबूत दिए जाएंगे।
🔹 2. Framing of Charges (आरोप तय करना)
BNSS: Section 251/ CrPC: Section 228
अदालत, प्रारंभिक कार्यवाही (Committal Proceedings) के दौरान प्रस्तुत सामग्री की समीक्षा करने के बाद स्पष्ट आरोप तय करती है।
👉 यदि कोई स्पष्ट मामला बनता है तो अदालत अभियुक्त के खिलाफ फॉर्मल चार्जेस फ्रेम करती है।
🔹 3. Recording of Evidence (साक्ष्यों की रिकॉर्डिंग)
BNSS: Section 253/ CrPC: Section 230
अभियोजन पक्ष (Prosecution) अपने गवाहों और साक्ष्यों को अदालत के समक्ष प्रस्तुत करता है।
👉 इन साक्ष्यों को रिकॉर्ड किया जाता है और इन पर बचाव पक्ष द्वारा जिरह की जाती है।
🔹 4. Defense Evidence (बचाव पक्ष की साक्ष्य प्रस्तुति)
BNSS: Section 256/ CrPC: Section 233
अभियुक्त को यह अधिकार होता है कि वह अपने बचाव में साक्ष्य प्रस्तुत करे और अभियोजन पक्ष के गवाहों की जिरह (Cross-Examination) करे।
👉 अदालत अभियुक्त को अपने पक्ष में गवाह बुलाने की अनुमति देती है।
🔹 5. Judgment (निर्णय)
BNSS: Section 258/ CrPC: Section 235
सभी साक्ष्यों और दलीलों को सुनने के बाद सेशन कोर्ट अपना निर्णय (Verdict) देता है।
👉 यह निर्णय अभियुक्त की दोषसिद्धि या दोषमुक्ति से संबंधित होता है।