क्रिमिनल या दीवानी संबंधित मामलों में विधिक परामर्श या सहायता के लिए, संपर्क करें @ 📞 90-44-88-1445, Advocate Rahul Goswami (District and Session Court Gonda)

Recently Uploded

जमानत का आधार ! जब FIR और साक्ष्य में विरोध हो, तो कैसे रखें अपना पक्ष?

  


जमानत का आधार कैसे बनता है?


🔹 1. FIR में अस्पष्ट आरोप / अस्पष्ट भूमिका

 यदि FIR में अभियुक्त की भूमिका स्पष्ट नहीं है या केवल सामान्य/रूटीन भाषा में नाम जोड़ा गया है, तो यह जमानत के लिए मजबूत आधार हो सकता है।




🔹 2. अभियुक्त के खिलाफ कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं

यदि घटना में अभियुक्त की संलिप्तता को प्रमाणित करने वाले कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य (Direct Evidence) नहीं हैं — जैसे CCTV, गवाह, मोबाइल लोकेशन आदि — तो यह जमानत का मजबूत आधार होता है।


🔹 3. सह-आरोपी को जमानत मिल चुकी हो

 यदि सह-आरोपी को पहले ही जमानत मिल चुकी है, और अभियुक्त की भूमिका भी उतनी ही संदिग्ध है, तो समानता का लाभ मिल सकता है।


🔹 4. जाँच अभी प्रारंभिक अवस्था में है और गिरफ्तारी जरूरी नहीं

 जब जाँच में अब तक कोई ठोस तथ्य नहीं आया है, तो संदेहपूर्ण आधार पर जमानत देना उचित माना जाता है।




🔹 5. FIR और मेडिकल रिपोर्ट में विरोधाभास हो

अगर पीड़ित के बयान और मेडिकल साक्ष्य/गवाहियों में अंतर है, तो मामला संदेहपूर्ण मा

ना जाएगा — और अभियुक्त को जमानत का लाभ मिल सकता है।



🔹 6. यदि अभियुक्त की कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है

पहली बार अपराध में लिप्त व्यक्ति को कठोर दृष्टिकोण से नहीं देखा जाता।


🔹 7. यदि अभियुक्त महिला, वृद्ध, या बीमार है

सुप्रीम कोर्ट के अनेक निर्णयों में कहा गया है कि:

महिला, गर्भवती, वृद्ध या बीमार अभियुक्त को जेल में रखना अत्यधिक कठोरता हो सकती है, इसलिए जमानत देना उपयुक्त होगा।