क्रिमिनल या दीवानी संबंधित मामलों में विधिक परामर्श या सहायता के लिए, संपर्क करें @ 📞 90-44-88-1445, Advocate Rahul Goswami (District and Session Court Gonda)

Recently Uploded

"क्या केवल शक के आधार पर सज़ा दी जा सकती है?"






 "क्या केवल शक के आधार पर सज़ा दी जा सकती है?" - J&K हाईकोर्ट का बड़ा फैसला |


🔹  कोर्ट ने स्पष्ट किया कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 106 का दुरुपयोग नहीं किया जा सकता, खासकर जब अभियोजन अपने केस की नींव ही सिद्ध न कर पाए।



🔹 केस की पृष्ठभूमि 


मामला है वर्ष 2002 का —

👉जहां फारूक अहमद पर्रे की उसके घर में हत्या हो गई थी।

👉आरोप लगे उसकी पत्नी गुलशाना और उसके प्रेमी शमीम पर, कि उन्होंने मिलकर मूसल से वार कर हत्या की।



🔹 अभियोजन का दावा 


👉FIR के अनुसार पत्नी ने प्रेमी को घर में घुसाया, और फिर मूसल से वार कर हत्या कर दी।

👉पूरा केस परिस्थितिजन्य सबूतों (circumstantial evidence) पर आधारित था — कोई प्रत्यक्षदर्शी नहीं था।



🔹अभियोजन की कमजोरियाँ 


👉मृतक की बेटी की गवाही विरोधाभासी थी


👉हत्या का हथियार मूसल रसोई में खुले में पड़ा मिला, छुपाया नहीं गया


👉आरोपी की उपस्थिति साबित नहीं हुई


👉प्रेमी के खिलाफ कोई पक्का सबूत नहीं था


👉पत्नी के साथ उसके रिश्ते भी सिर्फ अनुमान पर आधारित थे




🔹 धारा 106 का मुद्दा 


👉अभियोजन ने कहा कि चूंकि पत्नी घर में थी, उसे बताना चाहिए कि हत्या कैसे हुई।

लेकिन कोर्ट ने कहा:

👉 "जब तक अभियोजन बुनियादी तथ्य सिद्ध नहीं करता, तब तक आरोपी से जवाब नहीं मांगा जा सकता।

👉 धारा 106 अभियोजन की असफलता की भरपाई नहीं कर सकती।"




🔹 अदालत का फैसला 


👉कोर्ट ने कहा कि ये केस केवल अनुमान और संदेह पर आधारित था।

👉कोई ठोस सबूत नहीं था, इसलिए दोनों आरोपियों को बरी कर दिया गया।





"अभियोजन की कमजोरियाँ — कौन से बुनियादी तथ्य ज़रूरी थे?"



🔍 1. हत्या की पुष्टि - Murder Proved or Not


सबसे पहले — अभियोजन को ये सिद्ध करना जरूरी था कि

👉वास्तव में मृतक की हत्या हुई है,और वो भी किसी सामान्य कारण से नहीं, बल्कि जान-बूझकर की गई हिंसक हत्या है।


 इसके लिए ज़रूरी थे:


👉पोस्टमार्टम रिपोर्ट


👉फोरेंसिक विश्लेषण


👉मृत्यु का कारण स्पष्ट रूप से ‘हत्या’ साबित होना



🏠 2. घटनास्थल पर कौन था – Presence at Crime Scene 


दूसरा अहम बिंदु — हत्या के समय घर में कौन मौजूद था?

क्या पत्नी अकेली थी?


👉क्या प्रेमी वहां आया था?


👉 अभियोजन को ये साबित करना चाहिए था कि:


👉आरोपी घर में उपस्थित थे


👉हत्या के समय कोई तीसरा व्यक्ति नहीं था


👉ताले, खिड़की, दरवाज़े आदि से घुसपैठ नहीं हुई



3. प्रेमी की उपस्थिति – Lover's Presence Proof 


तीसरा बिंदु — प्रेमी (शमीम) वास्तव में घर में था या नहीं?


 इसके लिए ज़रूरी थे:


👉कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR)


👉मोबाइल लोकेशन


👉पड़ोसी या गवाह की गवाही


👉CCTV फुटेज, अगर उपलब्ध हो



 4. संबंधों का प्रमाण – Relationship Proof 


अभियोजन का दावा था कि पत्नी और प्रेमी में संबंध थे — लेकिन क्या उसका कोई ठोस प्रमाण था?


ज़रूरी थे:


👉कॉल रिकॉर्ड्स


👉प्रेम-पत्र


👉गवाह जो संबंधों के बारे में जानते हों


👉कोई निजी चैट या सबूत



 5. हत्या के हथियार की पुष्टि – Weapon Link 


👉मूसल से हत्या हुई, ऐसा कहा गया — लेकिन क्या साबित हुआ?


👉 अभियोजन को यह साबित करना था:


👉मूसल से ही चोट आई


👉उस पर आरोपी के फिंगरप्रिंट या खून के धब्बे थे


👉हथियार छिपाने की कोशिश की गई




⚖️ 6. हत्या का मकसद – Motive 


👉आख़िर कारण क्या था?

👉क्या पत्नी को पति से परेशानी थी?

👉क्या संपत्ति, झगड़ा या कोई अन्य कारण था?

👉 अभियोजन को स्पष्ट उद्देश्य (Motive) दिखाना था।