भारतीय संविदा अधिनियम, 1872 की धारा 10 (Section 10 of the Indian Contract Act, 1872)
किसी वैध अनुबंध (valid contract) के लिए आवश्यक शर्तों को निर्धारित करती है।
🔷 धारा 10 का प्रावधान (Provision of Section 10 ):
"सभी अनुबंध जो विधि द्वारा प्रवर्तनीय (enforceable by law) होते हैं, वे इस अधिनियम के अधीन अनुबंध होते हैं यदि वे निम्नलिखित शर्तों को पूरा करते हैं:"
1. प्रस्ताव और स्वीकृति के माध्यम से बना हो (Offer and Acceptance),
2. अनुबंध करने के लिए सक्षम पक्षों के बीच हो (Parties competent to contract),
3. वैध प्रतिफल (lawful consideration) हो,
4. वैध उद्देश्य (lawful object) हो,
5. अनुबंध को शून्य न ठहराया गया हो (Should not be declared void),
6. आवश्यक औपचारिकताओं का पालन किया गया हो, यदि कोई कानून में निर्धारित हो (e.g., लिखित रूप, रजिस्ट्री आदि)।
🔸 सरल शब्दों में व्याख्या:
धारा 10 कहती है कि एक अनुबंध वैध और विधि द्वारा प्रवर्तनीय तभी होगा जब –
🪄वह समझौता स्वतंत्र इच्छा से किया गया हो,
🪄पक्षकार वयस्क हों, मानसिक रूप से सक्षम हों,
🪄अनुबंध का उद्देश्य और प्रतिफल गैर-कानूनी, असंभव या अनैतिक न हो,
🪄और वह किसी कानून के विरुद्ध न हो।
📌 उदाहरण:
यदि A और B के बीच एक ऐसा अनुबंध है जिसमें B को A के लिए चोरी करनी है, तो यह अनुबंध अवैध (उद्देश्य के कारण) धारा 10 के अंतर्गत