BNS Section 30 – बिना सहमति के भलाई के लिए किया गया कार्य
धारा 30 (BNS) कहती है कि –
अगर कोई कार्य किसी व्यक्ति के हित (Benefit) के लिए सच्ची नीयत (Good Faith) से किया गया है, और उस समय उसकी सहमति लेना संभव नहीं था, तो वह अपराध नहीं माना जाएगा।
उदाहरण के लिए –
अगर कोई डॉक्टर बेहोश मरीज का इलाज बिना उसकी अनुमति के करता है, तो यह अपराध नहीं है।
🟡 किन शर्तों पर छूट मिलेगी?
📌 यह छूट तभी मिलेगी जब:
1. कार्य सद्भावना में किया गया हो
2. उस समय सहमति लेना संभव नहीं था
3. व्यक्ति सहमति देने में अक्षम हो
4. उसका कोई अभिभावक या संरक्षक भी उपलब्ध न हो
🟡 किन मामलों में यह छूट नहीं मिलेगी?
🚫 इस धारा के दो अपवाद (Exceptions) हैं –
1. अगर कार्य जानबूझकर किसी की मौत का कारण बनता है
2. अगर करने वाला जानता है कि इससे गंभीर हानि हो सकती है फिर भी करता है
यानि, Good Faith का मतलब यह नहीं कि आप कोई भी खतरा उठा सकते हैं।
🟡 न्यायशास्त्रीय विश्लेषण
⚖️ यह धारा दो महत्वपूर्ण सिद्धांतों पर आधारित है:
1. Mens Rea – यानी दोषपूर्ण मंशा नहीं है
2. Necessity Doctrine – यानी स्थिति की आवश्यकता थी
यह बताता है कि कभी-कभी कानून नीयत (Intent) और परिस्थिति (Circumstance) को देखकर छूट देता है।
🟡 निष्कर्ष और सलाह
📚 धारा 30 हमें सिखाती है कि अगर हम किसी की भलाई के लिए ईमानदारी से कोई कार्य करें, और उसे नुकसान पहुंचाने की मंशा न हो, तो कानून उसे अपराध नही मानता।
लेकिन ध्यान रखें – सद्भावना का मतलब है – समझदारी और सावधानी के साथ काम करना।