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उत्तराधिकार में पहले खरीदने का अधिकार क्या है?


🔷 हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005 की धारा 22 वरीयता का अधिकार (Preferential Right to Acquire Property)



📜 धारा 22 के प्रमुख प्रावधान 


1. यदि किसी हिंदू की मृत्यु के पश्चात उसकी संपत्ति के उत्तराधिकारी एक से अधिक हों और वे अविभाजित हिस्सों के मालिक हों (joint undivided interest),



2. और उनमें से कोई उत्तराधिकारी अपना हिस्सा किसी गैर-उत्तराधिकारी को बेचना चाहता हो,



3. तो अन्य सह-उत्तराधिकारियों को उस हिस्से को खरीदने का वरीयता (पहले खरीदने) का अधिकार होगा।



4. यदि सह-उत्तराधिकारी खरीदने को इच्छुक हों, पर मूल्य पर सहमति न बने —

तो वे न्यायालय में आवेदन कर सकते हैं, और न्यायालय उचित मूल्य निर्धारण कर उस हिस्से को उनके पक्ष में आदेशित कर सकता है।





🔎 Example 


राम की मृत्यु के बाद उसके तीन बच्चे – राहुल, सोनू और रीता – को ज़मीन में बराबर हिस्सेदारी मिली।

अब अगर रीता अपना हिस्सा किसी बाहर के व्यक्ति को बेचना चाहती है, तो राहुल और सोनू को यह हिस्सा पहले खरीदने का अधिकार मिलेगा।



📌 हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 में   संशोधन का प्रभाव:

 

⚡बेटियों को पुत्रों के समान अधिकार देने के लिए वर्ष 2005 में धारा 6 में संशोधन किया गया था।


⚡ जिससे बेटियों को भी संयुक्त परिवार की सह-अधिकारिणी (coparcener) बना दिया गया।


⚡इसलिए अब बेटियों को भी धारा 22 के तहत वरीयता का अधिकार प्राप्त है।