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वाद पत्र अन्तर्गत धारा-9 हिन्दू विवाह अधिनियम बावत दाम्पत्य जीवन पुर्नस्थापना

 न्यायालय श्रीमान प्रधान न्यायाधीश महोदय, (परिवार न्यायालय) गोण्डा।


                                           वाद सं०-/2023


____ आयु लगभग __ वर्ष पुत्र ____ निवासी ग्राम ___ तहसील ____ थाना____ जिला गोण्डा ...................वादी


                           बनाम


____ आयु लगभग _____ वर्ष पत्नी ____ पुत्री ____ निवासिनी ग्राम ____ थाना ____ जिला गोण्डा।.                     .................प्रतिवादिनी


                                     वाद पत्र अन्तर्गत धारा-9 हिन्दू                                             विवाह अधिनियम बावत दाम्पत्य                                            जीवन पुर्नस्थापना


श्रीमान जी,


वादी का निम्नलिखित सादर निवेदन है कि :-


धारा 1. यह कि वादी एवं प्रतिवादिनी का विवाह वर्ष __ मे 00 मई को हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार अग्नि को साक्षी मानकर सप्तपदी गमन के अनुसार प्रतिवादिनी के पैतृक आवास ग्राम __ परगना, तहसील व जिला गोण्डा मे माता पिता एवं परिवार वालो की उपस्थिति मेसम्पन्न हुआ था।


धारा 2. यह कि विवाह के पांच वर्ष बाद गौना वर्ष 200_ में फरवरी माह की 00 तारीख को सम्पन्न हुआ और प्रतिवादिनी बिदा होकर वादी के घर आयी तथा पत्नी धर्म का पालन करते हुये वादी के साथ खुशहाल जीवन व्यतीत करने लगी। वादी और प्रतिवादिनी का जीवन सरलता पूर्वक व्यतीत हो रहा था 


धारा _ यह की जिसके परिणाम स्वरूप विवाह के __ वर्ष बाद उभयपक्ष के संसर्ग से एक पुत्र ___ का जन्म हुआ।


धारा 3. यह कि पुत्र के जन्म के बाद पुत्र की जिम्मेदारी एवं खर्चे दोनो बढ़ गये जिसको पूरा करने के लिये वादी को बसिलसिले रोजी रोटी देश परदेश जाना पड़ा और घर पर प्रतिवादिनी अकेले रहती थी तथा परिवार की देखभाल करती थी। 


धारा _ यह कि वादी के घर पर न रहने के कारण प्रतिवादिनी का व्यवहार वादी के माता पिता एवं परिवार अन्य सदस्यों के प्रति करकशता पूर्ण हो गया और प्रतिवादिनी आये दिन घर मे कलह उत्पन्न करने, परिवार के सदस्यों को अपशब्द कहने के साथ अमर्यादित भाषा के साथ बात करने लगी


धारा 4. यह कि प्रतिवादिनी का व्यवहार वादी के परिवार एवं उसके माता पिता के प्रति दिन प्रतिदिन क्रूर से क्रूरतम होने लगावादी ने कई बार प्रतिवादिनी को समझाने बुझाने का प्रयास किया तथा प्रतिवादिनी के उक्त कृत्य के बारे मे जानकारी प्रतिवादिनी के माता पिता को और उनसे प्रतिवादिनी को समझाने के लिये कहा तो प्रतिवादिनी के पिता तथा भाई प्रतिवादिनी को समझाने के बजाय उल्ठे वादी को दोषी ठहराने लगे तथा कहा कि जैसा मेरी लड़की कहती है वैसा करो अन्यथा तुम्हे दहेज उत्पीड़न व गुजारा के मुकदमे में फंसाकर बरबाद कर देंगे। वादी को प्रतिवादिनी के पिता एवं भाई से यह सुनकर काफी आघात लगा।


धारा 5. यह कि वर्ष 20__ मे वादी के बसिलसिले रोजी रोटी परदेश गया हुआ था प्रतिवादिनी अपने चाचा व भाई को बुलाकर अपना समस्त जेवरात व कपड़ा लेकर तथा बच्चे को लेकर घर छोड़कर अपने मायके चली गयी 

धारा _यह कि वादी को प्रतिवादिनी के द्वारा किये गये इस कृत्य की जानकारी होने पर वादी परदेश से वापस आया और प्रतिवादिनी को बिदा कराने के लिये उसके मायके गया तो प्रतिवादिनी के मायके वालो द्वारा पहले तो भेजने से इन्कार किया गया फिर प्रत्तिवादिनी द्वारा कहा गया कि हमारी माता जी की तबीयत अभी ठीक नही है दो तीन दिन बाद आना तब बिदा कर देंगे।


धारा 6. यह कि वादी बच्चे की परिवरिश एवं पारिवारिक जिम्मेदारियों में फंसकर निरन्तर प्रतिवादिनी व उसके परिवार वालों से मिन्नते करता रहा तथा कई बार प्रतिवादिनी के मायके  ______में सम्भ्रान्त व्यक्तियों एवं नात रिस्तेदारों को पंचायत भी किया परन्तु हर प्रतिवादिनी व उसके परिवार वालों के द्वारा झूठा आश्वास दिया जाता रहा जिस पर वादी विश्वास करता रहा।


धारा 7. यह कि वर्ष __ मे मे प्रतिवादिनी द्वारा वादी के विरूद्ध झूठे एवं मिथ्या कथना के आधार पर गुजारा भत्ता का मुकदमा दायर कर दिया गया जिसकी जानकारी वादी को कुछ समय पूर्व हुई है वादी द्वारा प्रतिवादिनी को जब भी घर आने के लिये कहा जाता तब वह कोई न कोई बहाना बनाकर टाल देती।


धारा 8.यह कि वादी द्वारा दिनांक 00.00.202_ को अपने गांव जंवार के सम्प्रान्त व्यक्तियों को साथ लेकर प्रतिवादिनी को बिदा कराने हेतु प्रतिवादिनी के मायके गया प्रातिवादिनी व उसके पिता तथा भाईयों द्वारा वादी से कहा गया कि अपने पिता जी से मेरे नाम जमीन का बैनामा करा दो एवं अपने मां बाप से अलग होकर रहो तब तुम्हारे साथ चलूंगी।


धारा 9.यह कि वाद का कारण दिनांक 00.00.202_ को करने कत्तई इन्कार स्थान ग्राम ___ परगना __, तहसील __ जिला गोण्डा माननीय न्यायालय के सीमा क्षेत्राधिकार में उत्पन्न हुआ जो न्याय सीमा श्रवण श्रीमान जी के क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत है।


धारा 10. कि वाद का मूल्यांकन ____/- रूपये नियत किया जाता है चूंकि दाम्पत्य अधिकारों के पुर्नस्थापना का है इसलिये न्यायशुल्क 37.50/- रू0 का अदा किया जाता है।


धारा 11. यह कि वादी निम्नलिखित न्याय प्रतिकार पाने का हकदार है:-


(अ) यह कि डिग्री दाम्पत्य पुर्नस्थापना जीवन वहक वादी विरूद्ध प्रतिवादिनी इस आशय की प्रदान किया जावे कि प्रतिवादिनी को आदेशित किया जावे कि प्रतिवादिनी वादी के साथ बिदा होकर बादी के घर आवे और वादी के साथ बतौर पत्नी रहकर बैवाहिक जीवन व्यतीत करें।


(ब) यह कि खर्चा मुकदमा वादी को प्रतिवादिनी से दिलाया जावे।


(स) यह कि अन्य न्याय प्रतिकार जो न्यायालय उचित समझे वादी को प्रतिवादिनी से दिलाया जावे।


मैं वादी प्रमाणित करता हूं कि

 वाद पत्र की धारा 1 लगायत

 18 मेरे मेरे निजी ज्ञान से सत्य 

है तथा धारा 19 व 10 प्राप्त कानूनी

 सलाह के आधार पर सत्य होने 

का तथा धारा 11 के सत्य होने 

का पूर्ण विश्वास है।


                                                                   वादी


                                                           


स्थान :- गोण्डा कचेहरी


दिनांक :-