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दंडिक पुनरीक्षण / रिवीजन (156 3 खारिज)

न्यायालय श्रीमान जनपद एवं सत्र न्यायाधीश महोदय गोंडा।





आनन्द कुमार यादव लगभग वर्ष पूड स्व० रामकेवल यादव निवासी ग्रान-बेनिया, थाना कोतवाली देहात जनपद गोरहा।


..........पुनरीक्षणकर्ता


प्रति


1 बन्द तिवारी उम्र वर्ष पुत्र रामशब्र

2. बसरज निश्वा उम्र लगभग 8 वर्ष पुत्र रामबरन निवासी ग्राम तझवा थाना कोतवाली देहात, जनपद गोण्डा।

3. वार-पान अन्य अज्ञात लोग (नाम पता अज्ञात)

4. उत्तर प्रदेश सरकार                ..................विपक्षीगण


दाण्डिक पुनरीक्षण अन्तर्गत धारा-438/440 

बी.एन. एस.एस. विरुद्ध आदेश 

दिनांकित-21.12.2024 पारित द्वारा

 न्यायालय अपर सिविल जज सी०डि०/

अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट महोदय गोण्डा, 

बमुकदमा प्रकीर्ण प्रार्थना पत्र सं0-2317/2024

 जानन्द कुमार यादव बन्नाम आनन्द कुमार तिवारी 

आदि थाना कोतवाली देहात, जिला गोण्डा


श्रीमान जी.


पुनरीक्षणकर्ता सादर निम्न निवेदन करता है


संक्षिप्त विवरण


द्वारा 1


यह कि निगरानीकर्ता/प्राथी ने वर्ष 2018 में विपक्षी सं०-
से मु०-185,000/-रू० उधार के रूप में लिया था तथा उक्त पैसे के बावत विश्वास के तौर पर दो ब्लैक चेक दिया था। प्रार्थी द्वारा विपक्षी सं0-1 को सम्पूर्ण धनराशि मय व्याज वापस कर अपना चेक मांगा तो विपक्षी सं०- ने एक चेक फाड़ दिया तथा एक चेक गायब होने का बहाना कर दिया। प्रार्थी ने अच्छे सम्बन्धों के चलते हैं विश्वास कर लिय। दिनांक-01.07.2024 को प्रार्थी कुछ कार्य से बी०एस०ए० आफिस गोण्डा गया था दिन के  लगभग 12:30 बजे प्रार्थी जैसे ही अपने गुरू जी सूरज देवराज के साथ आफिस से निकला तो विपक्षीगण उपरोक्त ने प्राथी को खींचदा कर अपने बोलेरो में बैठाकर चेक देने का बहागा कर अपने गाँव लेकर चले गये तथा असलहा सटाकर प्रार्थी से 20-20 रूपये के दो स्टाम्प तथा दो सादा पेपर पर हस्ताक्षर बनवा लिया, तब तक प्रार्थी के गुरू सूरज मौके पर पहुँच गये जिनके हस्तक्षेप से प्रार्थी की जान बची तथा वे प्राथी को वापस लाये और स्थानीय थाने पर सूचना दिया किन्तु कोई कार्यवाही नहीं हुई जिसके बाद दिनंका-20.07. 2024 को प्राथर्थी द्वारा जबरदस्ती हस्ताक्षर बनाये गये सादे स्टाम्प पर मनगढ़ना कहानी लिखकर तथा 4,30.000/- रु० बकाया होने का आरोप लगाकर प्रार्थी के व्हाट्स एप पर भेजकर रूपयों की मांग की तथा न देने पर प्रार्थी के खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज कराने तथा कहीं शिकायत करने पर प्रार्थी समेत परिवारजन को मार देने की धमकी दिया। प्रार्थी ने पुनः स्थानीय थाने पर सूचना दिया तथा 25.07.2024 को एस०पी० महोदय गोण्डा पत्र प्रेषित कर 01. 08.2024 को प्रार्थना पत्र धारा-174 (4) समक्ष न्यायालय प्रस्तुत किया जिस पर संज्ञान लेकर न्यायालय श्रीमान् जी ने प्रारम्भिक जांच का आदेश दिया जिसमें प्रार्थी द्वारा अपना बयान देने तथा उसके गुरूजी के बयान दर्ज करने तथा काल रिकार्डिंग देने के बाद भी जांचकर्ता विपक्षीगणों से मिलीभगत कर फर्जी रिपोर्ट प्रेषित कर दिये जिसके बाद पीठासीन अधिकारी ने बिना प्रार्थी को सुने या कोई स्पष्टीकरण लिये पत्रावली आदेश हेतु सुरक्षित कर दिया तथा दिनांक-21.12.2024 को प्रार्थी का प्रार्थना पत्र अंधारा-174(4) बी०एन०एस०एस० सरसरी तौर पर खारिज कर दिया। इसलिए उक्त प्रश्नगत आदेश निम्न कारणों से खारिज होने योग्य है।


आधार पुनरीक्षण


यह कि लायक अदालत मातहत ने प्रश्नगत आदेश दिनाकित- 21.12 2024 पारित कर विधि एवं वाक्यातन त्रुटि कारित की है।


बारा 2- यह कि लायक अदालत मातहत ने प्रश्नमत आदेश दिनांकित -21.12.2024 सरसरी तौर पर पारित कर दिया इसलिए प्रश्नगत आदेश निरस्त होने योग्य है।


धारा 3- यह कि विपक्षीगण द्वारा बनाये गये कूटरचित स्टाम्प पेपर तथा जांचकर्ता को दिये गये बयान में काफी विरोधाभाष होने के बाद भी लायक अदालत मातहत ने प्रश्नगत आदेश पारित कर दिया है जो निरस्त होने योग्य है।


धारा 4 यह कि लायक अदालत मातहत ने बिना प्रार्थी को सुने प्रश्नगत आदेश पारित कर दिया है जो निरस्त होने योग्य है।


गत 5- यह कि प्रारम्भिक जांच के दौरान जांचकर्ता ने वाद बिन्दु से सम्बन्धित स्टाम्प की न तो कोई तहकीकात की और न ही नोटरी अधिवत्ता का हस्ताक्षरित रजिस्टर संलग्न किया और न ही नोटरी अधिवक्ता का बयान लिया। बल्कि आपस में साठ गांठ कर झूठी रिपोर्ट समक्ष न्यायालय प्रेषित कर दिया जिसको आधार मानकर लायक अदालत मातहत ने प्रश्नगत आदेश पारित कर दिया जो निरस्त होने योग्य है।


चारा 6- यह कि कूटरचित इकरारनामें में दिनांक-10.07.2018 को नु०-2,45,000/-रू० नगद मकान निर्माण के लिए तथा गु०-1.85,000/-रू० दवा इलाज के लिए 11.09.2018 को देने की बात कही गयी है जबकि दूसरे स्टाम्प में दिनांक-10.07.2018 को मु०-1,10,000/- रू० देने की बात की गई है। जो आपस में इतना विरोधाभाषी है कि उस पर विश्वास किये जाने का कोई आधार नहीं है इसलिए प्रश्नगत आदेश निरस्त होने योग्य है।


धारा 7- यह जि कूटरचित फर्जी इकरारनामा में दिनांक-10.07.2018 को 2,45.000/-रू० नगद मकान निर्माण के लिए तथा 11. 09.2018 की 1,85,000/-रू० दवा इलाज की बात की गई है जबकि दिपक्षी सं०-1 आनन्द तिवारी ने प्रारम्भिक जांचकर्ता को दिये अपने बयान में कहा है कि वर्ष 2017 में आनन्द यादव से मु0-7,00,000/-रू० में जमीन की बात हुई थी। जिसके बाद मेरे द्वारा उसी समय यानी वर्ष 2017 में ही मु०-1,10,000/-रू० मेरे जीजी बलराम मिश्रा से नगद लेकर आनन्द यादव को दिया था उसके बाद मु०-3,20,000/-रू० बड़कन तिवारी से लेकर आनन्द यादव को दिया था दोनो पैसा देते समय एक माह का अन्तर था (यानि धर्ष 2017 में) दोनो तिथियों में इतनी भिन्नता है किसी भी प्रकार पैसे लेन-देन की बात स्पष्ट नहीं होती है। बावजूद इसके इन सारी बातों को नजर अंन्दाज कर लायक अदालत मातहत ने प्रश्नगत आदेश पारित कर दिया जो निरस्त होने योग्य है।


धारा 8- यह कि विपक्षी सं0-1 व 2 दोनो यह स्वीकारते है कि आनन्द यादव से बी०एस०ए० आफिस के सामने मिले थे बावजूद इसके जांचकर्ता ने घटना से सम्बन्धित कोई सी०सी०टी०वी० फुटेज नहीं खंगाले। केवल विपक्षियों के सगे सम्बन्धियों के झूठे बयानात के आधार पर रिपोर्ट प्रेषित कर दिया। जिसके आधार पर प्रश्नगत आदेश पारित किया गया है जो निरस्त होने योग्य है।


धारा 9- यह कि विपक्षी सं०-1 व 2 ने अपने बयान में प्रार्थी के गुरू सूरज देवराज की उपस्थिति तथा सहमति की बात की गई है तथा समक्ष गवाहान कूटरचित स्टाम्प लिखाने की बात कही गई है जबकि जांचकर्ता को विपक्षीगणों द्वारा देव स्टाम्प पर गवाह के रूप में न तो प्रार्थी के गुरू जी के हस्ताक्षर है और न ही किसी और के। इससे साबित होता है कि कूटरचित स्टाम्प प्रार्थी के गुरू जी सूरज देवराज के मौके पर पहुँचने के पहले ही बंदूक के बलपर लिखवाया गया है। इन सारी तात्त्विक साक्ष्यों को नज़र अन्दाज कर लायक अदालत मातहत ने प्रश्नगत आदेश पारित कर दिया जो निरस्त होने योग्य है।





धारा 10- यह कि जांचकर्ता को प्रार्थी ने घटना से सम्बन्चित रिकार्डिंग भी दिया था तथा प्रार्थी के गुरु जी ने भी बयान दिया था बावजूद इसके विपक्षीगणों से बेजा लाभ प्राप्त कर प्रारम्भिक जावकर्ता छन्ही की मेली नददगारों तथा सगे सम्बन्धियों के भ्रधान के आधार पर झूठी रिपोर्ट समक्ष न्यायालय प्रेषित कर दिया जिसको आधार मानकर लायक अदालत मातहत ने प्रश्भगत आदेश पारित कर दिया जो मिररत होने योग्य है।


धारा 11- -यह कि प्रश्नगत आदेश Non Speaking order है। जिस कारण उपरोक्त अभरत शात्विक साक्ष्यों एय तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत निगरानी को स्वीकार कर प्रश्भगत आदेश दिभाकित-21.12.2024 को निरस्त किया जाना आवश्यक है।



अतः श्रीमान् जी से सादर प्रार्थना है कि प्रार्थी / निगरानीकर्ता द्वारा प्रस्तुत निगरानी पत्र को स्वीकार करते हुए लायक अदालत मातहत द्वारा पारित प्रश्नगत आदेश को निरस्त कर प्रार्थी को सुनवाई का अवसर प्रदान करते हुए गुण दोष के आधार पर निर्णीत करने का आदेश पारित करने की कृपा करें।