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अलग नीयत या ज्ञान के साथ किया गया अपराध – उकसाने वाले की जिम्मेदारी

🏛 भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 50 , "एक खास कानूनी प्रावधान है, जो बताती है कि जब कोई व्यक्ति अपराध के लिए उकसाता है, लेकिन अपराध करने वाले की नीयत या ज्ञान अलग होता है, तो सजा कैसे तय होगी।"




⚖️ WHAT THE LAW SAYS / कानून क्या कहता है



"Section 50 कहता है — यदि उकसाने वाला (Abettor) किसी खास इरादे से अपराध कराना चाहता है, लेकिन जिसे उकसाया गया (Abetted Person) वह अलग इरादे या ज्ञान से काम करता है, तो सजा उस इरादे के अनुसार मिलेगी जो उकसाने वाले का था।"


⚖️ SIMPLE EXPLANATION / आसान भाषा में समझें


"मतलब, अगर आपने किसी को चोट पहुँचाने के लिए उकसाया, लेकिन उसने हत्या कर दी — तो आपको हत्या का दोषी नहीं माना जाएगा, बल्कि चोट पहुँचाने के अपराध की सजा मिलेगी।"



 

⚖️ EXAMPLE CASES / उदाहरण


Example 1


✒A ने B को Z को हल्की चोट पहुँचाने के लिए उकसाया।


✒B ने गंभीर हमला कर Z को मार दिया।


✒A को सिर्फ चोट के अपराध की सजा मिलेगी।



Example 2


✒A ने B को Z की हत्या करने के लिए उकसाया।


✒B ने Z को केवल चोट पहुँचाई।


✒A को हत्या के प्रयास (Attempt to Murder) की सजा मिलेगी।





⚖️ KEY LEGAL POINTS /       मुख्य कानूनी बिंदु


1. सजा तय करते समय उकसाने वाले के इरादे को महत्व दिया जाएगा।



2. यदि अपराध करने वाले का इरादा अलग है, तो उसी के अनुसार अपराध माना जाएगा।



3. यह प्रावधान गलत इरादे से ज्यादा या कम गंभीर अपराध होने पर लागू होता है।