भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 की धारा 3(9) / IPC की धारा 38
यदि दो या अधिक व्यक्ति एक अपराध में सम्मिलित हों, तो यह जरूरी नहीं कि सभी के ऊपर समान अपराध का आरोप लगे। बल्कि उनकी मानसिक अवस्था (mens rea) परिस्थिति, इरादा और भागीदारी के आधार पर हर व्यक्ति पर अलग-अलग अपराध के आरोप लग सकते हैं।धारा 3(9) BNS
उदाहरण
A ने Z को इतना उकसाया (grave provocation) कि उसने गुस्से में आकर Z की हत्या कर दी। ऐसे में A का अपराध "culpable homicide not amounting to murder" होगा, यानी वह हत्या है, लेकिन उसे हत्या (murder) नहीं माना जाएगा क्योंकि उसने उकसावे में आकर ऐसा किया।
वहीं B, जो पहले से Z से द्वेष रखता था और Z को मारने का पूरा इरादा रखता था, वह A की मदद करता है Z को मारने में। लेकिन चूंकि B को कोई उकसावा नहीं मिला था और उसने जानबूझकर और द्वेषभाव से Z को मारा, इसलिए B का अपराध मर्डर (Murder) माना जाएगा।
Case law
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि दो या अधिक व्यक्ति एक अपराध में सम्मिलित हों, तो यह जरूरी नहीं कि सभी के ऊपर समान अपराध का आरोप लगे। अगर उनकी मानसिक अवस्था (mens rea) अलग है तो उन पर अलग-अलग अपराध के आरोप लग सकते हैं।Krishna Govind Patil v. State of Maharashtra, AIR 1963 SC 1413