भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 की धारा 9 / SECTION 71 IPC
धारा 9: जब कोई कार्य अनेक अपराधों से बना हो
यदि कोई कार्य जो एक अपराध है, ऐसे कई हिस्सों से मिलकर बना हो जिनमें से कोई भी हिस्सा अपने-आप में एक अपराध है, तो अपराधी को उन सभी अपराधों की सजा अलग-अलग नहीं दी जाएगी, जब तक कि कानून में ऐसा स्पष्ट रूप से न कहा गया हो।
यह दो स्थितियों में लागू होता है:
(a) जब कोई कार्य एक से अधिक कानूनों की परिभाषा में अपराध माना जाता है, Section 9 (2)(a)
या
(b) जब कई ऐसे कार्य किए गए हों, जो अपने-आप में तो अपराध हों, लेकिन मिलाकर कोई अलग अपराध बनाते हों, Section 9 (2)(b)
तो ऐसे मामलों में अपराधी को उस अपराध के लिए अधिकतम सजा नहीं दी जा सकती जो संबंधित अदालत द्वारा किसी एक अपराध के लिए दी जा सकती थी।
उदाहरण:
(a) अगर A, Z को डंडे से 50 बार मारता है, तो A ने "जानबूझकर चोट पहुँचाने" का अपराध किया है – यह पूरे पीटने के कार्य से भी सिद्ध होता है और हर एक चोट (हर एक बार मारना) भी अपने-आप में अपराध है।
अगर हर एक मारने पर A को एक साल की सजा हो, तो कुल 50 साल की सजा हो सकती है। लेकिन कानून के अनुसार, A को सिर्फ पूरे पीटने के लिए एक ही सजा दी जा सकती है – हर एक मार के लिए अलग-अलग नहीं।
निष्कर्ष:
धारा 9 इस सिद्धांत को दर्शाती है कि एक ही अपराध के लिए बार-बार सजा नहीं दी जा सकती (यह "Double Jeopardy" सिद्धांत से भी जुड़ा है)।
धारा 9, भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 — जो पहले धारा 71, IPC, 1860 के सिद्धांत से मेल खाती है — इसके अंतर्गत कुछ प्रमुख न्यायिक निर्णय (case laws) हैं, जो इस सिद्धांत की व्याख्या करते हैं कि "एक ही अपराध के लिए बार-बार सजा नहीं दी जा सकती"।
Case law
1. तथ्य: अभियुक्त पर हत्या और चोट पहुंचाने के दो अलग-अलग अपराधों में मुकदमा चला।
निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब एक ही घटना कई अपराधों में आती है, तो अभियुक्त को एक ही सजा दी जाएगी — जो अधिकतम सख्त हो। दोहराव से बचना आवश्यक है।
Mohan Baitha v. State of Bihar (2001) 4 SCC 350
प्रभाव: यह धारा 9(1) के उद्देश्य को दर्शाता है — एक घटना जो कई हिस्सों में विभाजित हो सकती है, फिर भी एक ही अपराध मानी जाएगी यदि वह समग्र रूप से एक ही अपराध है।
2. तथ्य: अभियुक्त पर धोखाधड़ी के कई मामलों में अलग-अलग सजा दी गई।
निर्णय: कोर्ट ने कहा कि यदि अलग-अलग कार्य अलग-अलग अपराध हैं, और वे मिलकर कोई अन्य बड़ा अपराध बनाते हैं, तो सबसे कठोर सजा ही दी जा सकती है।
K. Satwant Singh v. State of Punjab, AIR 1960 SC 266
प्रभाव: यह धारा 9(2)(b) पर प्रकाश डालता है — जब कई छोटे अपराध मिलकर एक बड़ा अपराध बनाते हैं।
निष्कर्ष:
धारा 9 का मूल उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि:
एक ही अपराध के लिए व्यक्ति को बार-बार सजा न दी जाए।
यदि कोई कार्य कई कानूनों का उल्लंघन करता है, तो सबसे कठोर और उपयुक्त सजा ही दी जाए।
न्यायिक प्रक्रिया में निष्पक्षता और समानता बनी रहे।