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"Grievous Hurt" धारा 320 (IPC) / धारा 115 (BNS, 2023) धाराएं, सजा और न्यायालय के दृष्टांत"

                  गंभीर चोट 

          (Grievous Hurt)           

 



 गंभीर चोट (Grievous Hurt) वह चोट होती है जो व्यक्ति के शरीर को इतना नुकसान पहुँचाए कि वह सामान्य जीवन जीने में असमर्थ हो जाए या स्थायी रूप से विकलांगता उत्पन्न हो।धारा 320 (IPC) / धारा 115 (BNS, 2023)

केस: K. D. Gaikwad v. State of Maharashtra (AIR 1978 SC 207)




 मेडिकल दृष्टिकोण से 8 प्रकार की गंभीर चोटें:

 भारतीय दंड संहिता की धारा 320 / BNS की धारा 115 में उल्लिखित हैं...


1. स्थायी दृष्टि हानि (Permanent loss of vision) – एक या दोनों आँखों से।


2. स्थायी श्रवण शक्ति हानि (Permanent loss of hearing) – एक या दोनों कानों से।


3. अंग या जोड़ों की कार्यक्षमता समाप्त (Loss of function of limb/joint permanently)


4. किसी अंग का कट जाना (Amputation of limb or part of body)


5. हड्डी या जोड़ का टूटना (Fracture or dislocation)


6. किसी अंग का स्थायी विकार (Permanent deformity of body part)


7. 20 दिन से अधिक तक सामान्य कार्य करने में असमर्थता (Medical certificate based disablement)


8. महिला का गर्भपात (Miscarriage caused without consent)



आवश्यक तत्व 

(Essential Ingredients):


1. चोट होनी चाहिए (There must be hurt):

शारीरिक कष्ट या शरीर में क्षति।



2. चोट उपरोक्त 8 में से किसी प्रकार की होनी चाहिए:

यानी वह चोट इतनी गंभीर हो कि उसे “grievous” की श्रेणी में रखा जाए।



3. इरादा या जानकारी (Intention or knowledge):

आरोपी को चोट पहुँचाने का इरादा या जानकारी होनी चाहिए कि उसकी क्रिया से गंभीर चोट हो सकती है।



न्यायालय ने किन बातों पर जोर दिया है?


🪄 चोट की प्रकृति (Nature of Injury)



🪄 चोट का प्रभाव (Effect on Victim)



🪄 चोट की अवधि (Duration of Disability)



🪄 चोट की गहराई और स्थायित्व (Permanency)



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  चिकित्सा प्रमाण (Medical Proof):


गंभीर चोट साबित करने के लिए निम्नलिखित मेडिकल दस्तावेज और मूल्यांकन आवश्यक होते हैं:


X-ray रिपोर्ट (Fracture की पुष्टि हेतु)


Audiometry test (सुनने की शक्ति की जांच हेतु)


Ophthalmologic report (दृष्टि की स्थायी हानि हेतु)


Medical Disability Certificate (20 दिन या अधिक की असमर्थता हेतु)



 न्यायिक महत्व (Legal Importance):


🪄 यदि डॉक्टर स्पष्ट रूप से कहता है कि हड्डी टूटी है, तो वह स्वतः Grievous Hurt मानी जाएगी।


🪄 Medical Opinion कोर्ट के लिए प्राथमिक साक्ष्य होता है, लेकिन अंतिम निर्णय न्यायालय करता है।


🪄 Medical Jurisprudence यह मानती है कि objective signs और lab reports injury को validate करने के लिए जरूरी हैं।


Grievous Hurt (गंभीर चोट) के लिए सजा (punishment) का प्रावधान भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की धारा 325 और भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 की धारा 117 में किया गया है।



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1. IPC, 1860 – Section 325 (Old Law)

"Voluntarily causing grievous hurt"


सजा:

अधिकतम 7 वर्ष का कारावास

जुर्माना, या दोनों



2. Bharatiya Nyaya Sanhita (BNS), 2023 – Section 117

 "गंभीर चोट जानबूझकर पहुँचाना" (Voluntarily causing grievous hurt)

सजा:

7 वर्ष तक का सादा या कठोर कारावास,

जुर्माना, या दोनों


 अगर विशेष परिस्थितियाँ हों तो सजा बढ़ सकती है, जैसे:


a) अगर अपराध किसी लोक सेवक पर हुआ हो


b) अगर अपराध महिला/बच्चे पर क्रूरता से किया गया हो


c) अगर घातक हथियार से किया गया हो (Section 326 IPC / Section 118 BNS)


Section 326 IPC / Section 118 BNS:

 "गंभीर चोट खतरनाक हथियार से पहुँचाना"


सजा:

10 वर्ष तक का कठोर कारावास (extendable to life imprisonment)

जुर्माना