Cheque Dishonour
चेक बाउंस क्या होता है?
जब कोई व्यक्ति किसी को भुगतान करने के लिए बैंक चेक देता है, और वह चेक बैंक द्वारा "अपर्याप्त धनराशि (Insufficient Funds)", "अकाउंट बंद", या किसी अन्य कारण से रिजेक्ट कर दिया जाता है, तो इसे Cheque Dishonour या Cheque Bounce कहा जाता है।
(चेक बाउंस) से संबंधित कानूनी मामले मुख्य रूप से Negotiable Instruments Act, 1881 की धारा 138 से 142 तक में आते हैं।
दंडनीय अपराध
अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर ऐसा चेक देता है जो कि बाउंस हो जाता है, तो यह एक Criminal Offence होता है। ( धारा 138 N.I Act, 1881 )
शर्तें:
🪄चेक किसी कर्ज या देनदारी को चुकाने के लिए होना चाहिए।
🪄चेक 3 महीने के भीतर जमा किया गया हो।
🪄बाउंस होने के बाद, धारक को 30 दिनों के भीतर लिखित नोटिस देना होगा।
🪄यदि नोटिस मिलने के 15 दिनों के भीतर भुगतान नहीं किया गया, तभी मामला दर्ज किया जा सकता है।
सजा
⚡ अधिकतम 2 साल की सजा या
⚡ दो गुना तक जुर्माना या दोनों
धारक के पक्ष में अनुमान
यह धारा मानती है कि चेक किसी कानूनी देनदारी के लिए दिया गया था। अभियुक्त को यह साबित करना होता है कि ऐसा नहीं था। धारा 139 N.I Act, 1881
नोट: सुप्रीम कोर्ट ने कहा: धारा 139 में दिया गया अनुमान (presumption) अभियुक्त द्वारा प्रत्येक परिस्थिति के प्रमाणों से rebut (खंडन) किया जा सकता है। Kumar Exports v. Sharma Carpets (2009)
कुछ बचाव मान्य नहीं
अभियुक्त यह नहीं कह सकता कि उसे भुगतान करने का इरादा नहीं था। धारा 140 N.I Act, 1881
शिकायत कब और कहां दर्ज करें
चेक बाउंस का मामला केवल मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी के समक्ष दर्ज किया जा सकता है। धारा 142 N.I Act, 1881
शिकायत केवल चेक धारक द्वारा ही की जा सकती है।
महत्वपूर्ण न्यायालयी निर्णय
⚡ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चेक बाउंस का मामला उसी स्थान पर दर्ज होगा जहाँ चेक प्रस्तुत किया गया था (बैंक की शाखा)। Dashrath Rupsingh Rathod v. State of Maharashtra (2014)
⚡ बाद में, संसद ने Negotiable Instruments (Amendment) Act, 2015 द्वारा यह तय किया कि मामला पेयिंग ब्रांच (जिस बैंक में आरोपी का खाता है) के स्थान पर चलेगा।