सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि अगर पति या ससुराल पक्ष को दहेज प्रताड़ना के मामले में बरी कर दिया गया है, तब भी मृत महिला की मां (माइके पक्ष) को, जो कि उसकी प्राकृतिक वारिस (Natural Heir) है, दहेज के सामान की वापसी का अधिकार बना रहता है।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय "Nirmala Chauhan बनाम उत्तर प्रदेश राज्य" मामले से संबंधित है। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि किसी आरोपी को दहेज प्रताड़ना के आपराधिक मामले में बरी कर दिया गया है, तो भी मृत महिला की मां, जो उसकी प्राकृतिक उत्तराधिकारी है, को दहेज के सामान की वापसी का अधिकार है।
कानूनी संदर्भ:
धारा 6, दहेज निषेध अधिनियम, 1961: दहेज महिला की संपत्ति मानी जाती है।
भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम: माता भी पुत्री की मृत्यु के बाद उसकी उत्तराधिकारी हो सकती है।
मामला संक्षेप में:
⚡एक महिला की शादी के बाद कुछ समय में उसकी मृत्यु हो गई।
⚡महिला की मां ने दहेज के सामान की वापसी के लिए याचिका दाखिल की।
⚡निचली अदालतों ने कहा कि पति को क्रिमिनल केस में बरी कर दिया गया है, इसलिए दहेज के सामान की वापसी नहीं की जा सकती।
⚡सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कहा कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम व उत्तराधिकार कानून के अनुसार, मां एक कानूनी उत्तराधिकारी है और दहेज का सामान लौटाया जाना चाहिए।