⚖️ हाईकोर्ट का फैसला: आपसी समझौते पर FIR रद्द
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 498A, 377 और दहेज प्रतिषेध अधिनियम की धाराओं के तहत दर्ज FIR को रद्द कर दिया क्योंकि पति-पत्नी में आपसी समझौता हो गया था और उन्होंने आपसी सहमति से तलाक ले लिया था।
📁 मामला क्या था?
- शिकायतकर्ता पत्नी ने पति और उसके परिवार वालों पर दहेज, अप्राकृतिक यौन संबंध और मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया था।
- FIR संख्या: 737/2023
- धारा: 498A, 377 IPC, 3/4 Dowry Act
- FIR संख्या: 737/2023
- धारा: 498A, 377 IPC, 3/4 Dowry Act
🤝 आपसी समझौता क्यों हुआ?
दोनों पक्षों ने Family Court में तलाक के लिए सहमति दी और एक समझौते के तहत सभी आरोपों को खत्म करने पर सहमति जताई।
🧑⚖️ कोर्ट का क्या निर्णय था?
- पत्नी खुद कोर्ट में उपस्थित हुई और कहा कि उसे FIR खत्म करने में कोई आपत्ति नहीं।
- कोर्ट ने कहा कि यदि विवाद सुलझ गया है, तो Section 482 CrPC के तहत केस को खत्म किया जा सकता है।
- कोर्ट ने कहा कि यदि विवाद सुलझ गया है, तो Section 482 CrPC के तहत केस को खत्म किया जा सकता है।
📚 सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला
- Gian Singh v. State of Punjab (2012)
- B.S. Joshi v. State of Haryana (2003)
- Narinder Singh v. State of Punjab (2014)
इन सभी में बताया गया कि आपसी समझौते के मामलों में, अगर अपराध व्यक्तिगत प्रकृति का हो, तो उसे समाप्त किया जा सकता है।
- B.S. Joshi v. State of Haryana (2003)
- Narinder Singh v. State of Punjab (2014)
इन सभी में बताया गया कि आपसी समझौते के मामलों में, अगर अपराध व्यक्तिगत प्रकृति का हो, तो उसे समाप्त किया जा सकता है।
📝 निष्कर्ष
यह निर्णय बताता है कि यदि पति-पत्नी आपसी सहमति से अलग हो जाते हैं और विवाद समाप्त हो चुका हो, तो हाईकोर्ट को मुकदमा खत्म करने की अनुमति है। इससे दोनों पक्ष अपने जीवन में आगे बढ़ सकते हैं।