हाई कोर्ट में रिट याचिका (Writ Petition) संविधान के अनुच्छेद 226 के अंतर्गत दायर की जाती है। यह एक संवैधानिक उपाय है, जो व्यक्ति को तब उपलब्ध होता है जब उसका कोई मौलिक अधिकार या विधिक अधिकार का हनन होता है, या जब सरकार या उसके अधीन कोई अधिकारी अपने अधिकारों का दुरुपयोग करता है या कर्तव्य में विफल रहता है।
🧾 हाई कोर्ट में रिट याचिका किन स्थितियों में दायर की जाती है:
1. मौलिक अधिकारों के उल्लंघन पर
यदि किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों (जैसे स्वतंत्रता, समानता, धर्म, जीवन आदि) का हनन हुआ है, तो वह हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर कर सकता है।
2. सरकारी अधिकारियों द्वारा विधि के विरुद्ध कार्य करने पर
यदि कोई सरकारी अधिकारी कानून के विरुद्ध कार्य कर रहा है या अपने कर्तव्यों का पालन नहीं कर रहा है, तब भी रिट याचिका दायर की जा सकती है।
Injuria sine Damnum
3. न्यायिक या अर्ध-न्यायिक आदेशों को चुनौती देने पर
यदि कोई ट्रिब्यूनल या अधिकारी कानून के अनुसार काम नहीं करता या गलत आदेश पारित करता है, तो उसके विरुद्ध रिट याचिका दाखिल की जा सकती है।
4. सरकारी आदेश, अधिसूचना या अधिनियम की वैधता पर सवाल उठाना
जब किसी सरकारी अधिसूचना, कानून या अधिनियम को असंवैधानिक कहा जाना हो, तब उसकी वैधता को चुनौती देने हेतु रिट दायर की जा सकती है।
5. अवैध गिरफ्तारी या हिरासत पर (Habeas Corpus)
यदि किसी व्यक्ति को बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के गिरफ्तार या हिरासत में लिया गया है, तो हैबियस कॉर्पस की रिट से राहत पाई जा सकती है।
6. सरकारी नौकरी में गलत तरीके से बर्खास्तगी या नियुक्ति से वंचित करना
सरकारी कर्मचारियों के मामले में यदि सेवा नियमों का उल्लंघन हुआ हो, तो वे भी रिट दायर कर सकते हैं।
🛑 किनके विरुद्ध रिट दायर की जा सकती है:
⚡राज्य सरकार या केंद्र सरकार
⚡सरकारी विभाग और उनके अधिकारी
⚡अर्ध-सरकारी निकाय (जैसे नगर निगम, ट्रिब्यूनल आदि)
⚡कभी-कभी निजी व्यक्ति या संस्था भी, यदि वे सार्वजनिक कर्तव्य निभा रहे हों
✅ हाई कोर्ट में कौन-कौन सी रिट दायर की जा सकती है:
1. Habeas Corpus – अवैध हिरासत के विरुद्ध
2. Mandamus – सार्वजनिक अधिकारी को कर्तव्य निभाने का आदेश देने हेतु
3. Prohibition – निचली अदालत को कार्यवाही रोकने का आदेश
4. Certiorari – निचली अदालत से आदेश निरस्त करने हेतु
5. Quo Warranto – किसी पद पर अवैध रूप से आसीन व्यक्ति को हटाने हेतु
रिट याचिका की प्रमुख पाँच श्रेणियाँ (Writs) और उनके उदाहरण:
1. Habeas Corpus (हैबियस कॉर्पस)
अर्थ: “शरीर को उपस्थित करो”
उद्देश्य: किसी व्यक्ति को अवैध हिरासत से मुक्त कराना।
📌 उदाहरण:
राम को पुलिस ने बिना एफआईआर और कोर्ट आदेश के घर से उठा लिया और कई दिनों तक थाने में रखा।
→ राम की पत्नी हाई कोर्ट में हैबियस कॉर्पस रिट दायर कर सकती है ताकि राम को कोर्ट में पेश किया जाए और उसकी गिरफ्तारी की वैधता की जांच हो।
2. Mandamus (मैंडमस)
अर्थ: “आदेश देना”
उद्देश्य: किसी सार्वजनिक अधिकारी या संस्था को उसके कानूनी कर्तव्य के पालन का आदेश देना।
📌 उदाहरण:
सीमा ने शिक्षक के पद के लिए आवेदन किया था और चयन हो गया, फिर भी नियुक्ति पत्र नहीं दिया गया।
→ वह हाई कोर्ट में Mandamus रिट दाखिल कर सकती है ताकि शिक्षा विभाग को नियुक्ति पत्र देने का आदेश दिया जाए।
3. Certiorari (सर्टियोरारी)
अर्थ: “जानकारी के लिए बुलाना”
उद्देश्य: किसी निचली अदालत या ट्रिब्यूनल द्वारा गलत या अति अधिकार में दिया गया आदेश रद्द करना।
📌 उदाहरण:
एक राजस्व अधिकारी ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर किसी की जमीन कुर्क कर दी।
→ पीड़ित व्यक्ति हाई कोर्ट में Certiorari रिट दायर कर सकता है ताकि उस आदेश को निरस्त किया जाए।
4. Prohibition (प्रोहिबिशन)
अर्थ: “रोक लगाना”
उद्देश्य: किसी निचली अदालत या ट्रिब्यूनल को उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर निर्णय देने से रोकने के लिए।
<📌 उदाहरण:
कंज्यूमर फोरम एक ऐसे विवाद की सुनवाई कर रहा है, जो उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता।
→ संबंधित पक्ष Prohibition रिट दायर करके हाई कोर्ट से आदेश ले सकता है कि वह फोरम इस मामले की सुनवाई न करे।
5. Quo Warranto (क्वो वारंटो)
अर्थ: “किस अधिकार से?”
उद्देश्य: यह जांचना कि कोई व्यक्ति किसी सरकारी पद पर किस अधिकार से बैठा है।
📌 उदाहरण:
रवि को नगर निगम का चेयरमैन नियुक्त किया गया, लेकिन वह नियुक्ति नियमों के खिलाफ थी।
→ कोई भी नागरिक हाई कोर्ट में Quo Warranto रिट दाखिल कर सकता
है यह जानने के लिए कि रवि किस अधिकार से वह पद संभाल रहा है।