न्यायालय श्रीमान तहसीलदार न्यायिक महोदय, सदर गोण्डा।
बाद सं0
अन्तर्गत धारा-34
UPRC-2006
ग्राम ___, परगना तहसील
व जिला गोण्डा
आपत्ति विरुद्ध नामान्तरण प्रसूचना पत्र।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि प्रार्थीगण उपरोक्त बाद में आपत्तिकर्तागण है तथा नामान्तरण प्रसूचना के विरुद्ध निम्नलिखित आपत्ति प्रस्तुत कर रही हैः-
धारा 1. यह कि आपत्तिकर्तागण प्रश्नगत भूखण्ड में सहखातेदार है, जिसके कारण आपत्तिकर्तागण को आपत्ति प्रस्तुत करने का विधिक अधिकार प्राप्त है।
धारा 2 यह कि प्रश्नगत भूखण्ड आपत्तिकर्तागण के ससुर / बाबा _______ के नाम राजस्व अभिलेखों में दर्ज था, जिनकी मृत्योपरान्त ______ का नाम बतौर वारिस दर्ज हुआ।
धारा 3. यह कि आपत्तिकर्तागण के पति व पिता ___ की मृत्यु दिनांक ______ को ________ में हो गयी है तथा ______की मृत्यु के दिनांक से आपत्तिकर्तागण प्रश्नगत भूखण्ड को बतौर वारिस सहखातेदार है।
धारा 4. यह कि प्रश्नगत भूखण्ड का _____निवासी ___ पोस्ट ___ गोण्डा के पक्ष में वर्ष 2021 में इकरारनामा निष्पादित किया है, जिसके कारण उक्त भूखण्ड को बेचने का विक्रेता को कोई अधिकार नहीं था।
धारा 5. यह कि प्रश्नगत भूखण्ड पर आपत्तिकर्तागण का कब्जा है तथा कोई कब्जा परिवर्तन नहीं हुआ है। ऐसे में बिना कब्जा अंतरण के नामान्तरण आदेश पारित किया जाना सम्भव नहीं है।
धारा 6. यह कि प्रश्नगत भूखण्ड का समक्ष न्यायालय द्वारा बंटवारा नहीं किया गया है और बिना बंटवारे के किसी विशिष्ट भूखण्ड का विक्रय नहीं किया जा सकता और न ही कब्जा दिया जा सकता है।
चारा 7. यह कि विवादित भूमि के सहखातेदार _____ पुत्र ____ की मृत्यु दिनांक ____ को हो चुकी थी एवं उनके द्वारा ______ के पक्ष में या अन्य किसी के पक्ष मे आपत्तिकतांगण के पिता/पति द्वारा कोई बैनामा नहीं किया गया था और जो भी बैनामा हुआ है वह बिना किसी विधिक अनुमति/बंटवारे के किया गया है तथा विक्रेता द्वारा अपने अंश से अधिक भूमि का बैनाना किया गया है इस कारण बैनामा शुन्यकरणीय है जिसका नामान्तरण हो जाने से आपत्तिकर्तागण की अपूर्णनीय क्षति होगी।
बारा 8. यह कि विक्रेता द्वारा ______ निवासी ___ पोस्ट ___ गोण्डा के पक्ष में विक्रय हेतु अनुमति का आवेदन सक्षम न्यायालय में किया गया था और उक्त प्रस्तावित क्रेता के पक्ष में ही धारा-98 उ०प्र० राजस्व संहिता 2008 के अन्तर्गत अनुमति प्रदान की गई थी, ऐसे में प्रश्नगत विलेख बिना अनुमति के हैं तथा उक्त भूखण्ड राज्य सरकार में निहित किया जाना अति आवश्यक है।
अतः श्रीमान् जी से अनुरोध है कि आपत्तिकर्तागण का आपत्ति स्वीकार कर प्रस्तुत नामान्तरण प्रसूचना निरस्त करते हुए विक्रीत भूखण्ड को राज्य सरकार के खाते में निहित करने हेतु समुचित आदेश पारित करने की कृपाज्ञा करें।