न्यायालय श्रीमान् सिविल जज (जु०डि०) महोदय, गोण्डा सामान्य वाद सं०-/2025
प्रार्थना पत्र वास्ते अस्थाई
निषेधाज्ञा अन्तर्गत आदेश 39
नियम 1 व 2 जा० दीवानी
महोदय,
प्रार्थी / प्रार्थी सादर निम्न निवेदन करता है-
यह कि वादिनी न्यायालय श्रीमान् जी के समक्ष एक वाद वास्ते स्थायी निषेधाज्ञा का प्रस्तुत किया जा रहा है, जिसमें लिये गये आधारों पर सफलता मिलने की सम्पूर्ण आशा है।
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धारा 1- यह कि प्रार्थी ने दावा दस्तावेत मंसूखी बैनामा व प्रार्थना पत्र अस्थाई निषेधाज्ञा श्रीमान् जी के समक्ष प्रस्तुत किया है जिसमें सफलता की पूर्ण आशा है।
धारा 2-यह कि विवादित भूमि गाटा सं0....
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धारा 02. यह कि प्रार्थिनी गाटा संख्या-1/0.498 हे० स्थित ग्राम सुभागपुर, परगना, तहसील व जिला गोण्डा की अन्य सहखातेदारों के साथ संक्रमणीय भूमिधर है, जिसमें प्रार्थिनी का अंश 1/3 भाग होता है।
विवादित घटना का विवरण
धारा 03.
यह कि इसी गाटा संख्या-1 उपरोक्त में रकबा 0.166 हे0 सम्पूर्ण अंश का बैनामा प्रार्थिनी ने दिनांक 03.10.2019 को बिना प्रतिफल के विपक्षी को कर दिया।
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धारा 4- यह कि विपक्षी सं० _ व _ ने जालसाजी पूर्ण तरीका अपनाकर प्रार्थी का अंश हडप करने के लिए एक कूट रचित अभिलेख बैनामा दस्तावेज बैनामा कराके विपक्षी सं०-_ को लाभ पहुँचाने के लिए दिनांक-00.00.20__ को बैनामा कर दिया है जो अवैध एवं अविधिक है।
घारा 5- यह कि इसी फर्जी एवं कूटरचित बैनामा के आधार पर विपक्षीगण विवादित भूमि पर कब्जा करना चाहत है जिसका उन्हे कोई अधिकार प्राप्त नहीं है।
Or
धारा 04. यह कि यही बैनामा इस मुकदमे की मूल विषयवस्तु है, जिसका विवरण वाद-पत्र के अन्त में वर्णित सूची विवादित बैनामा के आधार पर अंकित है तथा वाद-पत्र में विवादित बैनामा कहकर सम्बोधित किया गया है।
धारा 05. यह कि विवादित बैनामा करने के पूर्व जब प्रार्थिनी ने विपक्षी से प्रतिफल मांगा, तो विपक्षी ने विश्वास दिलाते हुए कहा कि तुम बैनामा करो घर चलकर तुम्हारे खाते में सारा पैसा हस्तान्तरित कर दूंगा, जिसका विश्वास करके प्रार्थिनी ने निबन्धन कार्यालय, गोण्डा में विवादित बैनामा को पंजीकृत करा दिया।
घारा 06.
यह कि बैनामा पंजीकृत होने के बाद जब प्रार्थिनी ने पैसा मांगा तो विपक्षी आज कल का वादा करके टालता रहा और आज तक पैसा नहीं दिया। इसी बीच विपक्षी के नाम से तहसीलदार गोण्डा द्वारा अमलदरामद कर दी गयी, तब विपक्षी ने प्रार्थिनी को पैसा देने में आना कानी करते हुए आमादा फौजदारी रहने लगा।
धारा 6- यह कि प्रार्थी द्वारा न्यायालय श्रीमान् के समक्ष निरस्तीकरण व स्थाई निषधाज्ञा का वाद प्रस्तुत किया जा रहा है, जिसमें सफलता की पूर्ण आशा है।
धारा 07.
यह कि विवादित बैनामे के बाद जब प्रार्थिनी को प्रतिफल नहीं मिला, तो विवादित जमीन पर विपक्षी को कब्जा नहीं दिया और स्वयं ही काबिज रही और आज भी है।
धारा 08. यह कि कब्जा न पाने पर विपक्षी आमादा फौजदारी होते हुए गाली गलौज व जान-माल की धमकी देने लगा।
धारा 09. यह कि विपक्षी की प्रताड़ना से प्रार्थिनी काफी परेशान हो गयी और कुछ सम्भ्रान्त व प्रतिष्ठित लोगों को बुलाकर पंचायत के माध्यम से विपक्षी से अपना पैसा पाने हेतु निवेदन किया कि या मेरा पैसा मुझे दे दें अथवा बैनामा वापस कर दें, किन्तु विपक्षी अपनी जिद पर अड़ा रहा और भरी पंचायत में पैसा देने से इन्कार करते हुए कहा कि खतौनी मेरे नाम हो गयी है, अब मैं कोई पैसा नहीं दूंगा।
ध।रा 8- यह कि विपक्षीगण ईंट व बालू, मोरंग व अन्य निर्माण सामग्री इकट्ठा कर लिये है यदि उन्हे निर्माण करने से नहीं रोका गया तो प्रार्थी की अपूर्णनीय क्षति होगी जिसकी पूर्ति संभव नहीं है।
धारा 9- यह कि न्यायहित में दौरान मुकदमा विपक्षीगण को विवादित सम्पत्ति पर किसी भी तरह का निर्माण करने व कब्जा करने से रोका जाना आवश्यक है।
धारा 9- यह कि प्रथम दृष्ट्या केस, वाद का सन्तुलन व सुविधा का भार अपूर्णनीय क्षति प्रार्थी के पक्ष में व विपक्षीगण के विपरीत है।
धारा 10.
यह कि विवादित जमीन पर प्रार्थिनी का ही कब्जा व दखल है। विपक्षी का कब्जा आज तक नहीं है। इसलिए कब्जे के आभाव में विवादित बैनामा निरस्त होने योग्य है।
धारा 11.
यह कि प्रथम दृष्ट्या केस व सुविधा का संतुलन प्रार्थिनी के पक्ष में है तथा विपक्षी के प्रतिकूल है।
अतः श्रीमान् जी से सादर प्रार्थना है कि प्रार्थिनी का प्रार्थना-पत्र अस्थायी निषेधाज्ञा स्वीकार करते हुए विपक्षी को दौरान लम्बन वाद विपक्षी को उक्त विवादित भूमि पर अवैध हस्तक्षेप करने से रोका जाने की कृपा की जाये।
अतः श्रीमान जी से सादर प्रार्थना है कि प्रार्थना पत्र अस्थायी निषेधाज्ञा स्वीकार किया जावे, तथा विपक्षीगण को रोक दिया जावे कि वे विवादित भूमि पर बेजा हस्तक्षेप करने, प्रार्थी को उसके शान्तिपूर्ण अध्यासन से विधि विरूद्ध बेदखल करने, बलात कब्जा करने, विवादित भूमि के स्वरूप में परिर्वतन करने से विपक्षीगण को आदेशित किया जावे कि वे विवादित दस्तावेज बैनामा को मंसूख करा लेंवे।