टॉर्ट कानून में यह तय किया जाता है कि किसी व्यक्ति के कानूनी अधिकार का उल्लंघन हुआ या नहीं। लेकिन जब कोई व्यक्ति गलत काम जानबूझकर करता है, तब "उद्देश्य (Motive)" और "द्वेष (Malice)" जैसे शब्दों की भूमिका अहम हो जाती है।
उद्देश्य (Motive) का मतलब होता है — कोई व्यक्ति कोई काम क्यों कर रहा है। जबकि द्वेष (Malice) का अर्थ है — जानबूझकर, बुरी नीयत से हानि पहुँचाना।
➡️ लेकिन टॉर्ट कानून में सामान्यतः मंशा को महत्व नहीं दिया जाता। यदि कोई कार्य वैध है, तो बुरी मंशा होने पर भी वह गलत नहीं माना जाएगा।
कानून यह देखता है:
- क्या किसी व्यक्ति का कानूनी अधिकार टूटा है?
- क्या उसे कानूनी नुकसान हुआ है?
अगर हां, तो वह टॉर्ट कहलाता है — भले ही सामने वाले की मंशा अच्छी हो या बुरी।
- Bradford v. Pickles: प्रतिवादी ने जल आपूर्ति बाधित की, लेकिन कार्य कानूनी था — दोषी नहीं ठहराया गया।
- Allen v. Flood: बुरी मंशा से नौकरी छुड़वाई गई, फिर भी दोषी नहीं माने गए।
- Guive v. Swan: बैलून चालक ने किसी के बगीचे में उतर कर नुकसान किया — द्वेष नहीं था फिर भी टॉर्ट माना गया।
- Malicious Prosecution (झूठा केस)
- Conspiracy (षड्यंत्र)
- Deceit / धोखा
- Nuisance (जानबूझकर परेशान करना)
Christie v. Davey में जानबूझकर शोर मचाकर परेशान करना टॉर्ट माना गया।
टॉर्ट का फोकस इस पर होता है कि क्या किसी का कानूनी अधिकार टूटा है। मंशा तब तक महत्वपूर्ण नहीं होती जब तक कानून खुद उसे न देखे।
➡️ अगर कार्य वैध है तो बुरी मंशा कोई फर्क नहीं डालती। और अगर कार्य अवैध है तो अच्छी मंशा भी आपको नहीं बचा सकती।