विभाजन अधिनियम, 1893 की धारा 4 (Section 4 of the Partition Act, 1893)
उन मामलों में लागू होती है जहाँ कोई साझा (joint) संपत्ति विभाजित की जा रही हो और उसका कोई हिस्सा किसी बाहरी व्यक्ति (non-family member/co-sharer) को बेच दिया गया हो।
🔹 धारा 4 का मुख्य प्रावधान:
यदि किसी साझा संपत्ति का कोई हिस्सा किसी हिस्सेदार ने किसी बाहरी व्यक्ति को बेच दिया है, और अन्य सह-स्वामी (co-sharer) को यह मंज़ूर नहीं है कि वह बाहरी व्यक्ति संपत्ति में हिस्सा ले —
तो सह-स्वामी न्यायालय से यह प्रार्थना कर सकता है कि उसे यह हिस्सा "न्यायसंगत मूल्य" (fair value) पर खरीदने का अधिकार दिया जाए।
🔹 सरल शब्दों में:
अगर किसी ने साझा मकान या ज़मीन में अपना हिस्सा किसी बाहरी व्यक्ति को बेच दिया, और बाकी के हिस्सेदार नहीं चाहते कि वह बाहरी व्यक्ति उसमें हिस्सेदार बने, तो वे कोर्ट से निवेदन कर सकते हैं कि उन्हें उस हिस्से को उसी कीमत पर खरीदने दिया जाए।
📘 उदाहरण:
राम, श्याम और मोहन तीन भाई हैं जिनके पास एक संयुक्त मकान है। मोहन ने अपना हिस्सा किसी अजनबी 'रवि' को बेच दिया। राम और श्याम नहीं चाहते कि रवि उनके साथ मकान में हिस्सा ले।
राम और श्याम धारा 4 के तहत कोर्ट से कह सकते हैं कि रवि का हिस्सा वे "उचित मूल्य" पर खरीदना चाहते हैं।
⚖️ उद्देश्य:
पारिवारिक झगड़ों को कम करना।
बाहरी व्यक्ति को संयुक्त परिवार या सह-स्वामित्व वाली संपत्ति में प्रवेश से रोकना।
सह-स्वामियों के अधिकारों की रक्षा करना।